जिस दवा से मर्ज़ दूर हो रहा हो, उसे नमन करो और लेते रहो || आचार्य प्रशांत (2015)
2019-11-27 0
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शब्दयोग सत्संग १३ जनवरी २०१४ अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
प्रसंग: जिस दवा से मर्ज़ दूर हो रहा हो, उसे नमन करो और लेते रहो? मन एक ही चीज को बार-बार क्यों दुहराता है? मन को कैसे समझे? मन नमन करना क्यों नहीं चाहता है?